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Wednesday, May 8, 2013

धरती का बैकुंठ: बदरीनाथ धाम

जीवन एक यात्रा की तरह है। कभी यह सहज लगती है तो कभी दुर्गम। जब मन में उत्साह और विश्वास की ऊर्जा जागती है तो जीवन यात्रा कितनी भी दुर्गम हो, उसे हम खुशी-खुशी पूरा कर लेते हैं। फिर सनातनी परंपरा में तो तीर्थ यात्रा को मानव जीवन के एकमात्र उद्देश्य भगवद् तत्व एवं भगवद्प्रेम की प्राप्ति का हेतु माना गया है। कहा गया है कि तरित पापादिकं यस्मात



via जागरण धर्म समाचार

http://www.jagran.com/spiritual/religion-badrinath-dham-is-a-goddess-place-in-earth-10371908.html

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