सामान्य तौर पर धर्म के दो प्रकार हैं। पहला स्वाभाविक धर्म और दूसरा भागवत धर्म। स्वाभाविक धर्म का अर्थ है जिस पर अमल करने से दैहिक संरचना से संबंधित कार्यो की पूर्ति होती है, यानी आहार, निद्रा और मैथुन आदि क्रियाएं। भागवत धर्म वह है जो मनुष्य को दूसरे जीवों से पृथक करता है। स्वाभाविक धर्म और भागवत धर्म, दोनों का उद्देश्य एक ही है-सुख
via जागरण धर्म समाचार
http://www.jagran.com/spiritual/religion-two-types-of-religion-10423476.html
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