हमारे पुराने जाग्रत विचार और चेतनायुक्त कार्य ही घनीभूत और प्रसुप्त होकर हमारे अज्ञात संस्कार बन जाते हैं। इस अवचेतन पर हम अधिकार कर सकते हैं। स्वामी विवेकानंद का चिंतन.. व्यावहारिक मनोविज्ञान हमें सिखाता है कि हम अपने मन के अवचेतन क्षेत्र पर अपना अधिकार कैसे चला सकते
via जागरण संत-साधक
http://www.jagran.com/spiritual/sant-saadhak-right-on-the-subconscious-10428911.html
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