ज्योतिष व द्वारिकापीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के प्रतिनिधि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का मानना है कि केदारघाटी में जलप्लावन व जन धन की हानि प्रकृति का प्रकोप है। उत्तराखंड सरकार, मानों आदमियों की संख्या से अधिक बांध बनाना चाह रही है। इससे कुपित हो प्रकृति ने बदला लिया है। अब भी सरकार को जागने की आवश्यकता है। ए
via जागरण धर्म समाचार
http://www.jagran.com/spiritual/religion-kedarnath-wrath-of-nature-in-the-inundation-10494242.html
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