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Wednesday, June 12, 2013

क्रोध ऐसी अग्नि है जो स्वयं व संसार दोनों को जला देती

क्रोध शब्द सुनते ही आंखों के समक्ष अग्नि का स्वरूप उत्पन्न हो जाता है। ऋषि-मुनियों व हमारे पूर्वजों के अनुभवों से यह सिद्ध हुआ है कि क्रोध एक ऐसी भीषण अग्नि है, जो हमारे मन को जलाकर जीवन के सार को नष्ट कर देती है। संसार में जितनी भी प्रकार की अग्नि हैं, वे मानव की अंतरात्मा या मन को नहीं जलाती, किंतु क्रोध एक ऐसी अग्नि है जो स्वयं व स



via जागरण धर्म समाचार

http://www.jagran.com/spiritual/religion-anger-is-a-fire-which-burns-both-themselves-and-the-world-10471636.html

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