विकास की नैसर्गिक प्रक्रिया को कृत्रिम साधनों से बढ़ाया जाता है। इस तरह अपनी उन्नति भी की जा सकती है। स्वामी विवेकानंद का चिंतन.. प्रत्येक मनुष्य अपने बाल्यकाल में ही उन अवस्थाओं को पार कर लेता है, जिनमें से होकर उसका समाज गुजरा है।
via जागरण संत-साधक
http://www.jagran.com/spiritual/sant-saadhak-how-quick-advancement-10528259.html
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