अमरकंटक के तपस्वी संत कल्याणदास का यह स्वप्न साकार हुआ तो धर्मनगरी की आध्यात्मिक आभा में चार चांद लगना तय है। उनकी योजना भगवान राम के साथ ही उनके पूर्वजों की यशगाथा से भी जनसामान्य को परिचित कराने की है। 50 एकड़ में विस्तृत उदासीन संप्रदाय की सर्वोच्च पीठ उदासीन ऋषि आश्रम रानोपाली में
via जागरण धर्म समाचार
http://www.jagran.com/spiritual/religion-shriram-monument-will-be-inscribed-in-the-glory-of-ikshvaku-dynasty-kings-10533983.html
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