ब्रज तो अपने नटखट कान्हा की वलैयां लेता रहा और दुनिया चरणों में झुकती गई। सांवरे पर सबसे पहले दक्षिण रीझा। बंशी की धुन पर संत-कवि ऐसे मोहित हुए कि कृष्ण लोक कलाओं से लेकर संगीत के राग-राग में समाते चले गए। दक्षिण, पूरब, पश्चिम के बाद उत्तर भारत लौटे कन्हैया आज भले ही विश्व में पूज्य हैं, लेकिन बाल सखा (ब्रजवासी)
via जागरण संत-साधक
http://www.jagran.com/spiritual/sant-saadhak-krishna-arrived-in-the-south-of-the-folk-arts-10676697.html
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