Loading...
Friday, August 2, 2013

विवेकानंद: स्वीकार का सुख

यदि हम सुख की तरह दुख को भी स्वीकार कर लें, तो दुख का प्रभाव हम पर ज्यादा नहींपड़ता। यह सकारात्मक नजरिया अपना कर ही हम अपने दुखों से बाहर आ पाते हैं.. अपने दैनिक जीवन में हम सभी अनेक कठिनाइयों, परेशानियों और निराशाओं का सामना करते हैं। हममें से कई लोगों को यह शिक



via जागरण संत-साधक

http://www.jagran.com/spiritual/sant-saadhak-vivekananda-accepted-offers-of-10615467.html

0 comments:

Post a Comment

 
TOP