काम, क्रोध, लोभ और मोह- यह जीवन के चार ऐसे तत्व हैं जिनसे कोई नहीं बचा इनमें क्रोध की ज्वाला दिनोंदिन तीव्र से तीव्रतर होती चली जा रही है पर यह कटु सत्य है कि श्राद्ध में क्रोध एकदम वर्जित है। क्रोध मन से किया गया श्राद्ध, कार्य मानव मन में संताप और क्लेश बढ़ाता है। श्राद्ध से जुड़ी एक कथा है कि परशुराम जी के पिता जमदग्नि तपस्य
via जागरण पूजा-पाठ
http://www.jagran.com/spiritual/puja-path-pitru-paksha-10751799.html
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