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Monday, September 30, 2013

मोक्ष की आस में ठिठकी हुई सांसें

बनारस के मणिर्कणिका घाट पर शांत ठहरी सी हुई गंगा की लहरें, घाट पर धू-धू जलती हुई चिताएं और सिर झुकाए खड़े उनके परिजनों को और गंगा के तट पर बने नेपाली मंदिर के परकोटे से शांत-निर्लिप्त भाव से मिचमिचाई आंखों से ताकती 85 वर्षीय नेपाली विधवा जमुना देवी।



via Web Dunia

http://hindi.webdunia.com/religion-article/मोक्ष-की-आस-में-ठिठकी-हुई-सांसें-1130930039_1.htm

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