मनुष्य की समस्त आकांक्षाओं की उत्पत्ति किसी न किसी बाहरी पदार्थ के ही कारण हुई है। अत: मनुष्य में कोई आकांक्षा जाग्रत हो गई है, तो उसकी पूर्ति अवश्य होती है। स्वामी विवेकानंद का चिंतन.. ईसा के उन वचनों को याद रखो- 'मांगो, और वह तुम्हें दे दिया जाएगा। ढूंढो और तुम पाओगे। खटखटाओ, और
via जागरण संत-साधक
http://www.jagran.com/spiritual/sant-saadhak-nothing-is-impossible-10814651.html
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