आधुनिक समय में व्यस्त जीवनशैली के कारण उत्तर भारत और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में भगवान राम के चरित्र को रंगमंच पर उतारने की परंपरा एवं यूनेस्को विश्व धरोहर ‘रामलीला’ के प्रति लोगों की रूचि कम होती जा रही है, जिसके कारण आज न तो पर्याप्त संख्या में दर्शक मिल रहे है और न ही कलाकार।
via Web Dunia
http://hindi.webdunia.com/religion-article/रामलीला-न-दर्शक-मिल-रहे-न-कलाकार-1131007074_1.htm
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