Loading...
Thursday, December 12, 2013

गीता जयंती पर कविता : वह घोष पांचजन्य का

परिकल्पना जब धर्म की अवधारणा सत्कर्म की जब पा रही विस्तार थी जग में हुई साकार थी। वह घोष पांचजन्य का, गाण्डीव की टंकार थी।।



via Web Dunia

http://hindi.webdunia.com/religion-hindu/गीता-जयंती-पर-कविता-वह-घोष-पांचजन्य-का-1131212020_1.htm

0 comments:

Post a Comment

 
TOP