जीवन का सिक्का तो एक ही है..उसके पहलू दो.. कभी-कभी पहलुओं को जानने के लिए फेंका गया सिक्का किसी एक तरफ गिरने की बजाय खड़ा रह जाता है , एकदम हक्का-बक्का सा करता हुआ ..और असमंजस में रह जाते हैं हम परंतु बाजार में तब्दीिल हुई इस दुनिया का सच बस इतना है कि जो फेंके जाने पर खड़ा रह गया. स्थिर हो गया.वो किसी तवज्जो.
via जागरण धर्म समाचार
http://www.jagran.com/spiritual/religion-life-are-two-sides-of-a-coin-10913058.html
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