हमारी नजर साध्य (लक्ष्य) पर रहती है, साधनों पर नहीं। यदि हमारे साधन बिल्कुल ठीक हैं, तो साध्य की प्राप्ति होगी ही। अपने जीवन में मैंने जो एक श्रेष्ठतम पाठ सीखा, वह यह है कि किसी भी कार्य के साधनों के विषय में उतना ही सावधान रहना चाहिए, जितना कि उसके लक्ष्य के विषय में। जिनसे मैंन
via जागरण संत-साधक
http://www.jagran.com/spiritual/sant-saadhak-important-to-devise-workable-means-of-swami-vivekananda-10946448.html
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