जीवन में वे सभी धन्य भाग्य हैं जिन्हें सत्संग का लाभ मिलता है और जो परमात्मा के प्रति प्रेम और श्रद्धा का भाव रखते हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि परमात्मा जर्रे-जर्रे में समाया है। जिसने उसे जाना है उसी ने उसे पाया है। उसके नाम का जो भी कीर्तन करता है उसके जीवन की डोर परमात्मा स्वयं अपने हाथों में ले लेता है। वह प्रभु अत्यंत दयालु और कृपालु है। सं
via जागरण धर्म समाचार
http://www.jagran.com/spiritual/religion-in-love-the-power-of-humor-and-devotion-10951152.html
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