गंगा तट पर गुरुवार को मौन का डंका तो श्रद्धा की हिलोरें थीं। कोहरे से ढकी घाट की सीढि़यां और इस पर दो तीन पीढि़यां पुण्य बेला के इंतजार में रात से ही जमी थीं। मौन साधे, परंपराओं की पोटली हृदय में बांधे। चहुंओर धुंधलका लेकिन आस्था की उजास और पाप ताप से मुक्ति का विश्वास उन्हें यहां खींच ले आया था। ऐसे ही अहसास के
via जागरण धर्म समाचार
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