गीता संसार को कर्मशील व पुरुषार्थी होने का संदेश देती है। वह हमारे मन में स्वार्थ, लोभ, अहंकार से ऊपर उठकर निष्काम व परोपकार के कर्मों की भावना जागृत करती है। वह श्रेष्ठ कर्म करते हुए इहलोक तथा परलोक दोनों के लिए उन्नति करने के लिए प्रेरणा देती है।
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