'ऊधौ मन न भए दस-बीस, एक हुतो सो गयौ स्याम संग, कौ अराधे ईस'। सूरदास की यह पंक्तियां ब्रजवासियों खासकर गोपियों के कान्हा के प्रति प्रेम को बताने के लिए काफी हैं। कृष्ण को अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाली गोपियों और उद्धव की बातचीत को लगभग पांच हजार साल बीत गए। परंतु बरसाने की छोरियों के विवाह आज भी नंदगांव में नहीं होते।
via जागरण धार्मिक स्थान
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