'उड़त अबीर-कुमकुम-गुलाल, रहयो सकल ब्रज छाए'। जी हां, बरसाना में शनिवार को त्रिभुवन का आनंद बरसा। नभ में चहुंओर अबीर-गुलाल की घटा छा। श्रीजी मंदिर प्रांगण में प्रेम रस से सने लड्डुओं की मिठास भी बरसी। हर तरफ 'होली है-होली है, लगाओ गुलाल, रंग डालो' का शोर। अबीर-गुलाल और लड्डुओं के रूप में बर
via जागरण धर्म समाचार
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