उज्जैन। भगवान की पूजा में कई प्रकार के बर्तनों का उपयोग किया जाता है। ये बर्तन किस धातु के होने चाहिए और किस धातु के नहीं, इस संबंध में भी शास्त्रों में कई नियम बताए गए हैं। जिन धातुओं को पूजा में वर्जित किया गया है, उनका उपयोग पूजन में नहीं करना चाहिए। अन्यथा धर्म-कर्म का पूर्ण पुण्य फल प्राप्त नहीं हो पाता है। भगवान की पूजा एक ऐसा उपाय है जिससे जीवन की बड़ी-बड़ी समस्याएं हल हो जाती हैं। पूजा में बर्तनों का भी काफी गहरा महत्व है। शास्त्रों के अनुसार अलग-अलग धातु अलग-अलग फल देती है। इसके पीछे धार्मिक कारण के साथ ही वैज्ञानिक कारण भी है। सोना, चांदी, पीतल और तांबे के बर्तनों का उपयोग शुभ माना गया है। जबकि, पूजन में लोहा और एल्युमीनियम धातु से निर्मित बर्तन वर्जित किए गए हैं। पूजा में लोहा और एल्युमीनियम धातु से निर्मित बर्तन उपयोग क्यों न करें... पूजा और धार्मिक क्रियाओं में लोहा, स्टील और एल्युमीनियम को शास्त्रों के अनुसार अपवित्र धातु माना गया है। इन धातुओं की मूर्तियां भी नहीं बनाई जाती है। लोहे में हवा और पानी से जंग लग जाता है और एल्युमीनियम से भी...
via Dainik Bhaskar
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