जैन संत विमर्श सागर ने कहा है कि जीवन पानी की एक बूंद है। इसलिए जितना ज्यादा सेवा कार्य, कर्म कर सको, करने चाहिए। तभी जीवन सार्थक हो सकेगा। छीपीटोला में ज्ञान गंगा महोत्सव के तहत आयोजित सभा में जैन मुनि ने कहा कि जीवन में जरूरी है आत्मा का हित। इसके लिए हमें खुद निर्णय करना होगा। वरना अंत समय पछताना पड़ता है। घर, व्यापा
via जागरण धर्म समाचार
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