स्वामी बल्लभाचार्य ने 550 वर्ष पूर्व भक्ति की शक्ति का सभी को अहसास कराया था। उन्होंने ही रुनकता में महाकवि सूर को कृष्ण भक्ति का गुरु मंत्र दिया था। यह साधना स्थली आज भी रुनकता पर स्थित है। स्वामी बल्लभाचार्य प्रभु की 537वीं जयंती शुक्रवार को हलवाई की बगीची स्थित श्रीनाथजी मंदिर में मनाई गयी। जिसमें भजन, सत्संग और प्रवचन हुए। पं. हरिद
via जागरण धर्म समाचार
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