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Wednesday, May 21, 2014

अखंड सौभाग्यवती रहने का व्रत है वटसावित्री व्रत

मूलत: यह व्रत सौभाग्यवती स्त्रियों का है, फिर भी सभी प्रकार की स्त्रियां (कुमारी, विवाहित, विधवा आदि) इस व्रत को करती हैं। इस व्रत को करने का विधान त्रयोदशी से पूर्णिमा या अमावस्या तक है। इस दिन वट ( बड़, बरगद) का पूजन होता है। इस व्रत को स्त्रियां अखंड सौभाग्यवती रहने की मंगल कामना से करती हैं। वट सावित्री व्रत सौभाग्य को देने वाला और




via जागरण धर्म समाचार

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