जिस तरह हनुमान ने जो भी काम किया, उसे राम-काज समझ कर किया, उसी प्रकार जीवन में हर कार्य प्रभु के लिए समझ कर किया जाए, तो हमारा जीवन ही साधना बन जाता है। कथा-वाचक मोरारी बापू का चिंतन.. झूला जितना पीछे जाता है, उतना ही आगे आता है। एकदम बराबर। सुख और दुख दोनों ह
via जागरण संत-साधक
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