एकादशी के सूर्योदय से द्वादशी के सूर्यास्त तक पानी न पीने का विधान होने के कारण इसे निर्जला एकादशी कहते हैं। वैसे तो एक महीने में दो बार एकादशी आती है। शास्त्रों में एकादशी का व्रत करने का विधान बताया गया है। स्वास्थ्य, दीर्धायु, सामाजिक सुख तथा मोक्ष फल की प्राप्ति में निर्जला एकादशी का विशेष महत्व माना गया है। इस दिन आमरस दान कर
via जागरण संत-साधक
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