कदम-कदम पर मंदिर। 12 वन और 24 उपवनों की कतार। खुशबू बिखेरते रंग-बिरंगे कुंज-निकुंज। पक्षियों के मधुर स्वर से मादक और मनोहर बनते एकाकी स्थल। नृत्य के साथ ही पिउ-पिउ करते मयूर। कलकल करती यमुना और आस्था की बुलंदी दर्शाते गिरिराज जी। ऐसा नजारा जहां हो, वो तो तीनों लोकों से न्यारी नगरी होगी ही। इसी ब्रज में
via जागरण धर्म समाचार
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