नंदा प्रकृति है और संस्कृति भी। वह जीवन के हर रंग में समाई हुई है। उसका ससुराल से मायके आना और फिर मायके से ससुराल के लिए विदाई आम पहाड़ी के लिए एक सामान्य घटना है। लेकिन, विदाई के इस उत्सव (जात) में जब लोक के रंगों का समावेश होता है तो यह अलौकिक घटना बन जाती है। जात रूपी
via जागरण धर्म समाचार
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