भगोती नंदा को उसके सहयात्री चौसिंग्या खाडू के साथ कैलाश की ओर विदा कर हम कर्मपथ पर लौट आए हैं। लेकिन, इस यात्रा के अनुभव हमेशा जमा पूंजी की तरह हमारे पास रहेंगे। पीछे मुड़कर देखते हैं तो लगता है कि इन बीस दिनों में हम मायालोक की यात्रा करते रहे। पर, सच कहें तो जीवन का असली आनंद भी इसी में है
via जागरण संत-साधक
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