ॐ ह्रीं अर्हं हं स: अनंत केवलिभ्यो नम:' इस मंत्र का त्रिकाल जप करें। चौदह वर्ष के पूर्ण व्रत होने पर इसका उद्यापन करें। उद्यापन स्वयं की शक्ति के अनुसार करें। उद्यापन के दिन मंदिर में पूजा करवाएं। चाहे तो मंदिर निर्माण करवाएं। घंटा, झालर या छत्र, ...
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