1957 में सत्य साई बाबा ने पहली बार उत्तर भारत की यात्रा की । 1963 में कई बार दिल का दौरा पड़ने और उससे उबरने के बाद उन्होंने कर्नाटक में प्रेम साई के रुप में पुनः अवतरित होने घोषणा की । उन्होंने कुछ अफ्रीकी देशों की भी यात्रा की। सत्य साई के चमत्कारों और उनके शरण में जाने पर दुःखों से निजात मिलने के कथाएं तो काफी सुनी गईं लेकिन उनके ट्रस्ट द्वारा भारत में ही नहीं पूरी दुनिया में चलाए जा रहे सेवा कार्यों की चर्चा और मीडिया कवरेज कम हुई। यह सत्य है कि सत्य साई सेंट्रल ट्रस्ट के पास अकूत संपत्ति है लेकिन इस संपत्ति का उपयोग व्यक्तिगत कार्यों के बजाय जनकल्याण के लिए किया जाता है। इस ट्रस्ट के पास अनुमानतः40 हजार करोड़ रूपए की संपत्ति है। इसके जरिए ट्रस्ट द्वारा विभिन्न देशों में अस्पताल और विद्यालयों का संचालन किया जा रहा है। इस ट्रस्ट के माध्यम से पूरे विश्व के 186 देशों में क़रीब 1200 सस्थाएं चल रही है। सत्य साई की वसीयत ने भी इस बात को और स्पष्ट कर दिया है कि यह संपत्ति जनकल्याण के लिए ही है। वसीयत में उन्होंने अपने परिवारजनों को सत्य साई ट्रस्ट की संपत्ति में कोई हिस्सेदारी नहीं प्रदान की है। इन संस्थाओं की तरफ से पुट्टापर्थी और बेंगलुरू में कई अत्याधुनिक चिकित्सा केंद्रों का भी निर्माण किया गया है। अनेक शहरों में पानी की योजनाओं का संचालन भी यही संस्था कर रही है। बाबा जी के भक्तों में रहीस और प्रतिष्ठित लोगों की अच्छी तादाद थी। उनके भक्तों में, अशोक राव चव्हाण,विलासराव देशमुख,सुनील गावस्कर,सचिन तेंदुलकर,वीवीएस लक्ष्मण,रजनीकांत जैसी हस्तियां शामिल हैं। इसके अतिरिक्त करुणानिधि जैसे नास्तिक भी बाबा के भक्तों की टोली में शामिल थे। सत्य साई बाबा का देहावसान 24 अप्रैल 2011 को हुआ।
Saturday, April 27, 2013
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