जब हम दान से ज्यादा प्रतिफल की कामना करते हैं, तो परोपकार की भावना कमजोर पड़ती है। जबकि अक्षय तृतीया नि:स्वार्थ भाव से जरूरतमंदों को दान करने का महापर्व है। आज समाज को कुछ देने के बजाय समाज से कुछ लेने की ही प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। हम योगदान देने की
via जागरण संत-साधक
http://www.jagran.com/spiritual/sant-saadhak-akshaya-tritiya-10387502.html
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