कठोपनिषद कहता है कि हम सबमें वही एक आत्मा विद्यमान है। फिर हम एक-दूसरे में भेद क्यों करें? स्वामी विवेकानंद का चिंतन..आत्मा क्या है? वह बुद्धि से भी अतीत है। कठोपनिषद हमें बतलाता है कि आत्मा शाश्वत और सर्वव्यापी है। तुम, मैं और हम सब लोग वास्तव में सर्वव्यापी आत्मा हैं। अब, यह
via जागरण संत-साधक
http://www.jagran.com/spiritual/sant-saadhak-vivekananda-light-of-the-soul-10452063.html
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