योग कहां नहीं है- योग सर्वत्र है। यह स्थापित सत्य है। योग का अर्थ जोड़ना है। गणित की शुरुआत भी योग से होती है। जिंदगी का गणित भी योग से ही शुरू होता है। एक से दो फिर दो से तीन-चार और इस प्रकार विस्तार, कोई सीमा ही नहीं है। एक से दो होना भी योग की ही बात है।
via Web Dunia
http://hindi.webdunia.com/religion-article/क्या-है-योग-का-मूलमंत्र-1130709071_1.htm
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