एक युवक कविताएं लिखता था, लेकिन उसके इस गुण का कोई मूल्य नहीं समझता था। घर वाले भी उसे ताना मारते रहते कि तुम किसी काम के नहीं, बस कागज काले करते रहते हो। उसके अंदर हीन-भावना घर कर गई। उसने एक जौहरी मित्र को अपनी यह व्यथा बताई। जौहरी ने उसे एक पत्थर देते ह
via जागरण संत-साधक
http://www.jagran.com/spiritual/sant-saadhak-precious-stone-10609875.html
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