इन दिनों बरसात और बाढ़ के कारण गंगा के मटमैले पानी को देखकर यही लगेगा की पानी प्रदूषित है। लेकिन हकीकत यह नहीं है। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के अनुसार इस वक्त गंगाजल को प्राकृतिक रूप से उपचारित मानना चाहिए। यह उपचार होता है पानी के खरबों खरब वनस्पतियों, घास, फूस, जड़ी, बूटियों के सम्पर्क में आने से।
via जागरण धर्म समाचार
http://www.jagran.com/spiritual/religion-mediketed-ganga-jalabhishek-the-importance-of-lord-shiva-in-sawan-10571002.html
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