हर वस्तु सीमित है, तो अनंत भी। इसी प्रकार हमारा अस्तित्व भी है। स्वामी विवेकानंद का चिंतन.. वस्तुओं का सत्य स्वरूप क्या है, यह जानने के लिए हमें दिखाई यही देगा कि अंत में हम वस्तुओं की एक ऐसी अजीब अवस्था पर आ पहुंचते हैं, जो विरोधात्मक सी प्रतीत होती है। हम ज्ञान-प्राप्ति के लिए एक स
via जागरण संत-साधक
http://www.jagran.com/spiritual/sant-saadhak-vivekananda-we-are-endless-10612645.html
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