Loading...
Monday, August 12, 2013

स्वामी विवेकानंद: हम अकिंचन नहीं..

स्वयं को अकिंचन मानकर हम ऐसी शक्ति की तलाश में रहते हैं, जो निसर्ग के नियमों को तोड़ सके, जबकि हमारे भीतर ही वह शक्ति होती है..। स्वामी विवेकानंद का चिंतन.. आज तक ऐसी कोई मानव-जाति नहीं हुई है, जिसने किसी भी प्रकार के धर्म को अंगीकार न किया हो या ईश्वर अथवा देवताओं



via जागरण संत-साधक

http://www.jagran.com/spiritual/sant-saadhak-swami-vivekananda-we-are-not-destitute-10640728.html

0 comments:

Post a Comment

 
TOP