कृष्ण जीवन की संभावनाओं के प्रतीक हैं। कृष्ण होना हमारे जीवन में संतुलन लाना है। कृष्ण का विराट स्वरूप कहता है कि हमारे भीतर भी विराट क्षमताएं हैं, उसी को समझकर उनका सदुपयोग करने में ही जन्माष्टमी की सार्थकता सिद्ध होगी। आर्ट ऑफ लिविंग के प्रणेता श्रीश्री रविशंकर का चिंतन.. जन्
via जागरण संत-साधक
http://www.jagran.com/spiritual/sant-saadhak-krishna-life-balance-is-to-be-10679395.html
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