चेतना के द्वारा अपने मूल स्वरूप को पा लेना ही स्वतंत्रता है। अगर हम अपने भीतर छिपी खूबियों को पहचान कर उनका परिमार्जन करें, तो यही होगी खुद को पाने की असली आजादी। स्वतंत्रता दिवस पर प्रस्तुत है चिंतन.. फ्रांस के दार्शनिक रूसो ने बहुत दुख के साथ लिखा था कि 'मनुष्य स्वतं˜
via जागरण संत-साधक
http://www.jagran.com/spiritual/sant-saadhak-get-yourself-the-freedom-10648361.html
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