जाप और जप में अंतर है। जाप एक निश्चित उद्देश्य सहित कारण और अवधि के अंतर्गत होता है। यह कर्मकांड की तरह भी हो सकता है। यद्यपि इसे प्रचलित मान्यता समझना चाहिए, न कि निर्धारित व्याख्या। फिर भी कभी-कभी ये दोनों समानार्थक कहे जाते हैं, सामान्यत: ऐसा अंतर प्रकट नहीं होता। जप एक निरंतर प्रक्रिया है। जप योग वस्तुत: आत्मा का ही अनुशीलन है। यह
via जागरण धर्म समाचार
http://www.jagran.com/spiritual/religion-there-is-power-in-chanting-10663502.html
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