श्रद्धा.. श्राद्ध.. और शुल्क। ये तीन शब्द गयाजी के कर्मकांड में मायने रखता है। इन्हीं शब्दों पर एक पखवारे का मेला चलता है। पूरी आस्था और उससे जुड़ी अर्थव्यवस्था इन्हीं शब्दों पर आधारित है। यहां हर कुछ इन्हीं में मिलता है। लाखों की तादाद में आ रहे श्रद्धावान लोग अपने पितरों को तृप्त करने का मनोभाव लेकर आते हैं और श्र
via जागरण धर्म समाचार
http://www.jagran.com/spiritual/religion-pitru-paksha-10754546.html
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