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Monday, September 2, 2013

विवेकानंद का चिंतन: स्थूल द्वारा सूक्ष्म की खोज

मनुष्य भावों के स्थूल रूपों या प्रतीकों द्वारा सूक्ष्म को ग्रहण करने का प्रयत्न कर रहा है। घंटी, भजन, अनुष्ठान और मूर्तियां आदि धर्म के ऐसे ही बाहय उपकरण हैं। स्वामी विवेकानंद का चिंतन.. कुछ थोड़े से धर्र्मो को छोड़कर प्राय: हर एक धर्म में सगुण ईश्वर की कल्पना प्रचलित रही है और उसी के



via जागरण संत-साधक

http://www.jagran.com/spiritual/sant-saadhak-vivekanandas-musings-macro-micro-discovered-by-10692486.html

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