हम देवभूमि से यात्रा को अलग कर नहीं देख सकते। यात्रा यहां का जीवन भी है और जीवन का साधन भी। इसलिए हम अपनी खुशी यात्रा में तलाशते हैं। यात्रा की अहमियत इसी से समझी जा सकती है कि भीषण आपदा के बाद भी हमारा ध्यान सबसे पहले यात्रा पर ही गया। ताकि, टूट चुकी जीवन की रीढ़ को दोबारा जोड़ा जा सके। प्रतिकूल परिस्थितियों में
via जागरण धार्मिक स्थान
http://www.jagran.com/spiritual/mukhye-dharmik-sthal-service-life-the-means-of-living-10809730.html
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