भारतीय संस्कृति में गुरु और शिष्य के संबंध को अत्यंत पावन और गौरवपूर्ण माना गया है। गुरु की महिमा का वर्णन करते हुए प्राचीन शास्त्रों में कहा गया है कि गुरु साक्षात परब्रह्म का स्वरूप है। इसलिए हमें ईश्वर से पूर्व गुरु की वंदना करनी चाहिए। जीवन में प्रथम गुरु हमारे माता-पिता होते हैं। गुरु वही है जिसे देखकर मन प्रणाम करे, जिनके समीप
via जागरण संत-साधक
http://www.jagran.com/spiritual/sant-saadhak-thu-macroscopic-appearance-of-spirit-10766371.html
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