कछुआ सेंक्चुरी के चलते कटान से पक्के घाटों के धंसने का खतरा, बालू के ढूहे के चलते नदी के प्रवाह क्षेत्र पर खतरा और दर्जनों सीवरेज नालों के सीधे गिरने से पूरी की पूरी गंगा को ही खतरा। बात मोक्षदायिनी संग काशी के पौराणिक घाटों के अस्तित्व संकट तक बढ़ गई हो तो जाहिर है छिटपुट प्रयासों से काम नहीं चलने वाला।
via जागरण धर्म समाचार
http://www.jagran.com/spiritual/religion-crisis-ganga-ghat-striving-to-be-the-ultimate-10897776.html
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