त्याग और वैराग्य। भोग और वैराग्य के बीच की अवस्था है त्याग। भोग का त्याग नहीं करना है, 'भोग में त्याग' करना है। भोजन तो करना ही है, भोजन में स्वाद का त्याग करना है। खाने के लिए नहीं जीना है, जीने के लिए खाना है। निष्काम भोग ही त्याग है। जीवन की यात्रा भोग से त्याग की ओर चलती है। त्याग में विकल्प है ग्रहण करने या छोड़ने का। त्याग में
via जागरण धर्म समाचार
http://www.jagran.com/spiritual/religion-the-journey-of-life-is-moving-towards-renunciation-of-enjoyment-10839748.html
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