वृंदावन के डेढ़ सौ वर्षीय हनुमानदास ब्रह्मचारी ब्रह्मलीन हो गए। उधर भद्रवन के महंत घनश्याम दास ने भी शरीर छोड़ दिया। इससे उनके अनुयायियों में शोक व्याप्त है। वृंदावन के गोपाल खार गोशाला में उनके शिष्य गोपाल ने बताया कि संत ब्रह्मचारी दो साल से बीमार थे। उनके निधन से संत समाज में शोक व्याप्त हो गया। उनके अंतिम दर्शन के लिए अनुयायि
via जागरण धर्म समाचार
http://www.jagran.com/spiritual/religion-saint-hanumandas-brhmlin-this-is-the-story-of-becoming-10890077.html
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