मन, वाणी, इंद्रिय सहित शरीर से किए गए कर्म ईश्वर के लिए समर्पित होने चाहिए। आत्मा परमात्मा से मिलकर ही पूर्णत्व को प्राप्त करता है। ईश्वर की सेवा के समय सांसारिकता से विरक्त होकर भक्ति पर केंद्रित होना चाहिए। यह विचार आचार्य लक्ष्मण दास ने व्यक्त किया। वे रामघाट स्थित विश्व शांति आश्रम में कार्तिक मेले के दौरान अपनी रामकथा
via जागरण धर्म समाचार
http://www.jagran.com/spiritual/religion-grand-devotees-flocked-to-the-fair-during-kartik-story-10863511.html
0 comments:
Post a Comment